Indian Army में सबसे ज़्यादा मेडल पाने वाले नायब सूबेदार चुन्नीलाल की कहानी | Watan Ke Rakhwale
Indian Army: नायब सूबेदार चुन्नीलाल । एक ऐसा सैनिक जिसे वीरता के तीन बड़े सम्मान से नवाजा गया । शांति काल मे वीरता के सबसे बड़े सम्मान अशोक चक्र से, सेना मेडल से और वीर चक्र से । सेना के इतिहास में ऐसा कोई सैनिक नहीं है जिसे इतने बड़े मेडल मिले हैं । मात्र 19 साल की उम्र में दुनिया के सबसे ऊंचे लड़ाई के मैदान सियाचिन में दुश्मन के पोस्ट पर कब्जा करते हैं और बहादुरी के लिये सेना मेडल मिलता है । 39 साल की उम्र में एलओसी पर पाकिस्तानी सैनिक और आतंकियों के हमले को ना केवल विफल करते है बल्कि उसे मार गिराते हैं। यहां भी अदम्य साहस दिखाने के लिये उनको वीर चक्र से नवाजा जाता है । 2007 में कुपवाड़ा में आतंकियो के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान की परवाह ना कर घायल साथियों को बचाते हैं और विदेशी आतंकियों को मार गिराते है । लेकिन आतंकियों के खिलाफ जंग में वो वीरगति को प्राप्त हो जाते है । नायब सूबेदार चुन्नीलाल के शौर्य को किताब में पिरोया है लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने । किताब का नाम है ब्रेवेस्ट ऑफ द ब्रेव यानि बहादुरों में बहादुर ।
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