हाथ-पैर कांपते हैं, धीरे चलते हैं तो रहें सतर्क

ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। साइंस जर्नल फ्रंटियर्स के मुताबिक, पूरी दुनिया में सवा करोड़ लोगों को पार्किंसन्स रोग है। अनुमान है कि 2050 तक पेशेंट्स की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर 252 लाख के करीब हो सकती है।
पार्किंसन्स उम्र संबंधी ब्रेन डिजीज है, जिसमें ब्रेन के कुछ हिस्से बहुत कमजोर या डैमेज हो जाते हैं। इसके कारण आमतौर पर लोग बहुत धीरे चलने-फिरने लगते हैं। उनके हाथ, पैर और सिर कांपने लगते हैं। इसके अलावा बैलेंसिंग की भी समस्या हो सकती है।
पार्किंसन्स क्या है?
पार्किंसन्स ऐसी कंडीशन है, जिसमें ब्रेन का कुछ हिस्सा धीरे-धीरे डैमेज हो जाता है। इसके लक्षण समय के साथ धीरे-धीरे गंभीर हो जाते हैं। इसके कारण मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है। सोचने की क्षमता पर असर पड़ता है, याददाश्त भी कमजोर होने लगती है। समय पर इलाज मिलने से लक्षणों को गंभीर होने से रोका जा सकता है।
रोग के लक्षण
पार्किंसन्स के लक्षण मुख्य रूप से मांसपेशियों के नियंत्रण से जुड़े होते हैं, लेकिन इसके अलावा कई अन्य शारीरिक और मानसिक प्रभाव भी हो सकते हैं। इस बीमारी के लक्षणों को मोटर (मूवमेंट से संबंधित) और नॉन-मोटर (जो मूवमेंट से नहीं जुड़े)- दो ग्रुप में बांटा जा सकता है।
क्यों होता है?
पार्किंसन्स डिजीज मुख्य रूप से ब्रेन में एक खास केमिकल डोपामिन की कमी के कारण होता है। यह केमिकल ब्रेन में स्ट्रायटम नामक हिस्से में होता है, जो मसल्स पर कंट्रोल और उसकी गति को नियंत्रित करता है। जब ब्रेन के इस हिस्से की सेल्स डैमेज होने लगती हैं या कमजोर होने लगती हैं तो पार्किंसन्स के लक्षण उभरते हैं।
पार्किंसन्स के मुख्य कारण
जेनेटिक: पार्किंसन्स डिजीज कुछ मामलों में जेनेटिक हो सकती है। इसका मतलब है कि अगर किसी के परिवार में किसी को पार्किंसन्स है तो उस व्यक्ति को इसका खतरा दूसरों की अपेक्षा ज्यादा होता है। हालांकि, यह केवल 10% मामलों में ही अनुवांशिक होता है।
आईडियोपैथिक (अज्ञात कारण): ज्यादातर पार्किंसन्स मामलों का कारण पता नहीं चलता है। ऐसे सभी मामलों को आईडियोपैथिक पार्किंसन्स कहा जाता है, जिसका मतलब है कि इस बीमारी का कारण स्पष्ट नहीं है।
एनवायरनमेंटल कारण : कुछ मामलों में पेस्टिसाइड्स जैसे केमिकल्स के कारण भी पार्किंसन्स हो सकता है। इसके अलावा कार्बन मोनोऑक्साइड और कुछ पॉइजन्स के संपर्क में आने से भी इस बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।
दवाइयां और अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स
कुछ दवाइयां- जैसे मेंटल हेल्थ की दवाएं भी पार्किंसन्स जैसी कंडीशन की वजह बन सकती हैं। इसे पार्किंसोनिज्म कहा जाता है। ये प्रभाव अस्थायी हो सकते हैं, जो दवाइयां बंद करने पर ठीक हो जाते हैं।
मस्तिष्क में सूजन : मस्तिष्क में सूजन, जिसे एन्सेफलाइटिस कहा जाता है। इसके कारण भी कभी-कभी पार्किंसन्स के लक्षण उभर सकते हैं।
सिर पर चोट: किसी खेल के दौरान या किसी एक्सिडेंट के कारण सिर पर चोट लगने से भी पार्किंसन्स रोग हो सकता है। इसे पोस्ट-ट्रॉमैटिक पार्किंसोनिज्म कहा जाता है।
पार्किंसन्स में किस तरह की
एक्सरसाइज मदद करेगी
पार्किंसन्स डिजीज में फिजिकल एक्टिविटीज और एक्सरसाइज का बहुत महत्व होता है क्योंकि इससे मसल्स मजबूत होती हैं, स्पीड सुधरती है और बैलेंस बनाए रखने में मदद मिलती है। ये एक्सरसाइज और टिप्स पार्किंसन्स पेशेंट्स के लिए फायदेमंद हो सकती हैं।
– वॉकिंग एक्सरसाइज : चलने में सावधानी बरतें और स्पीड नियंत्रित करें, बहुत तेजी से न चलें।
– चलते समय हमेशा पैर की एड़ी को जमीन पर पहले रखें।
– अपने बॉडी पॉश्चर पर ध्यान दें। सीधे खड़े होने की कोशिश करें, ताकि शफ्लिंग यानी धीरे-धीरे चलने को रोका जा सके।
– पीछे की तरफ न चलें और न ही कुछ सामान उठाकर चलने की कोशिश करें।
– योग करें : योग शरीर की मसल्स को मजबूत बनाने, लचीला बनाने और स्पीड सुधारने में मदद करता है।
– कुछ योगासन जैसे-वीरभद्रासन, ताड़ासन और भुजंगासन पार्किंसन्स के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
– इन सभी आसनों को धीरे-धीरे करें और बॉडी लिमिट को समझते हुए ही कोई आसन करें।
स्ट्रेचिंग से बढ़ेगी मसल्स की ताकत:
स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से मसल्स का लचीलापन बढ़ता है और सख्त मांसपेशियों को आराम मिलता है। स्क्वैट्स जैसी एक्सरसाइज भी मसल्स को मजबूत बनाती हैं।

The post हाथ-पैर कांपते हैं, धीरे चलते हैं तो रहें सतर्क appeared first on World's first weekly chronicle of development news.

News