श्रीदेवी की लाडली का छलका दर्द, बोली- स्कूल में मैं काफी बदसूरत थी, लड़के मेरे पास आते थे और बोलते थे...
हम में से कई लोग सोचते हैं कि कई मशहूर हस्तियों के बच्चे पॉपुलर हैं और बहुत से लोग उन्हें प्यार करते हैं. हालांकि दिवंगत दिग्गज एक्ट्रेस श्रीदेवी और पॉपुलर फिल्म प्रोड्यूसर बोनी कपूर की बेटी खुशी कपूर के लिए यह थोड़ा अलग रहा है. उन्हें स्कूल में इग्नोर किया जाता रहा है. एक स्टार किड होने के बावजूद खुशी की लाइफ और ग्रोइंग ईयर्स आसान नहीं थे. उनकी कोई सोशल लाइफ नहीं थी और वह पहले बिल्कुल अलग दिखती थीं. इस वजह से उन्हें अक्सर बदसूरत और इग्नोर्ड महसूस होता था. उनके पर्सनल सर्कल में भी इतनी अटेंशन नहीं मिलती थी.
जी म्यूजिक कंपनी के साथ एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने हाल ही में एक स्कूल की याद शेयर की. इस बात ने फैन्स को उनसे और ज्यादा जोड़ा. एक्ट्रेस ने याद करते हुए कहा कि वह एक मैसेंजर हुआ करती थीं जो लड़कों के लेटर और नोट उनकी लड़कियों तक पहुंचाती थीं.
उन्होंने याद किया कि कैसे लड़के सिर्फ प्यार भरे नोट भेजने के लिए उनके पास आते थे. खुशी कहती हैं, "असल में मैं स्कूल में काफी बदसूरत थी, लड़के मेरे पास आते थे और बोलते थे, 'मैंने ये चिट्ठी लिखी है, आपके दोस्त को दे दो', मैं वो थी'." खुशी कपूर को अपने बड़े होने के तरीके से सहज महसूस नहीं हुआ और समाज ने उनके लिए चीजो को आसान नहीं बनाया. कोई ना कोई हमेशा उनके रूप-रंग पर कमेंट करता और उनका मजाक उड़ाता.
एक्ट्रेस ने अपनी कॉस्मेटिक प्रोसेस के बारे में बात की और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में ट्रांसपेरेंसी की वकालत की. उनका मानना है कि मशहूर हस्तियों को अननैचुरल ब्यूटी स्टैंडर्ड बनाए रखने के बजाय प्लास्टिक सर्जरी के साथ अपने एक्सपीरियंस पर ईमानदारी से चर्चा करनी चाहिए.
इस साल की शुरुआत में एक स्क्रीन लाइव इवेंट के दौरान खुशी को जज बनने का मौका मिला और उन्होंने अपने अनुभव शेयर किए और बताया कि कैसे उन कमेंट्स ने उनकी सेल्फ रिस्पेक्ट को प्रभावित किया. उन्होंने याद किया और कहा कि एक बच्चे के रूप में, उनकी तुलना हमेशा उनकी खूबसूरत मां श्रीदेवी और उनकी बड़ी बहन जान्हवी कपूर से की जाती थी.
खुशी ने अपने अतीत के बारे में बात करते हुए कहा, “जब मैं छोटी लड़की थी, तो मेरे लुक्स का मजाक उड़ाया जाता था. मैं अपनी मां या बहन जैसी नहीं दिखती थी. जब आप छोटे बच्चे होते हैं तो आपकी सेल्फ रिस्पेक्ट को ठेस पहुंचती है."
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