वक्फ पर JDU क्यों मान गई? नीतीश कुमार कितने स्वस्थ? क्या निशांत संभालेंगे पार्टी? संजय झा ने सब बताया
Waqf Bill Nitish Kumar Sanjay Jha: बिहार में फिलहाल नीतीश कुमार हैं. 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद क्या होगा? इसका फैसला तो जनता करेगी. हां, इस बीच कई सवाल नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू को लेकर लगातार उठ रहे हैं. जैसे क्या नीतीश कुमार स्वस्थ हैं? अगर स्वस्थ हैं तो तरह-तरह के उनके वीडियो क्यों आ रहे हैं? क्या उनके बेटे निशांत कुमार जदयू में शामिल हो रहे हैं? क्या निशांत कुमार अब नीतीश कुमार की जगह लेंगे? और सबसे बड़ा सवाल जदयू ने वक्फ संशोधन बिल का क्यों समर्थन किया? जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने इन सभी सवालों पर NDTV से खास बात की.
वक्फ पर JDU क्यों मान गई?
संजय झा ने बताया कि जेडीयू या नीतीश कुमार का सेकुलरिज्म को लेकर बड़ा लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है. खास करके मुसलमानों के लिए काम करने का. लगभग 19 साल से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं और 19 साल का उनका ट्रैक रिकॉर्ड देखिएगा तो हम लोग हमेशा लोगों को बोलते हैं कि शायद देश में ऐसा कोई राज्य नहीं होगा, जहां 19 साल में एक दिन का कर्फ्यू नहीं लगा होगा. बिहार में 19 साल में एक दिन भी कर्फ्यू नहीं लगा है.बिहार जैसे प्रदेश में सबसे बड़ा दंगा भागलपुर में 1989 में कांग्रेस के टाइम में हुआ. इसके बाद 15 साल तक आरजेडी और कांग्रेस की सरकार रही. दंगा पीड़ितों को न्याय नहीं मिला. नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ अलायंस में सरकार बनाने के बाद 2006 में दंगा पीड़ितों को न्याय दिया. उनको अब पेंशन मिल रहा है और आरोपियों को सजा मिल रही है. यह एक ट्रैक रिकॉर्ड है. जहां तक बात वक्फ संशोधन बिल की है तो जब ये बात आई तो जदयू का यह मानना था कि इसे जेपीसी में जाना चाहिए. इस पर वाइडर कंसल्टेशन होना चाहिए और यह जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी में गया. वाइडर कंसल्टेशन हुआ. इस पर बहुत सारे जो मुस्लिम समुदाय के लोग हैं नीतीश कुमार से भी आकर मिले. उस मीटिंग में मैं भी था और वहां पर यह बात हुई कि वो लोग कहते थे कि आप लोग इसे वापस लेने की बात करिए और हम लोगों का कहना था कि आपको जिस प्रोविजन में लगता है कि गड़बड़ी है आप बताइए. क्योंकि यह पहली बार तो अमेंडमेंट हो नहीं रहा. इससे पहले भी अमेंडमेंट 2013 में हुआ था. उससे पहले भी हुआ. अमेंडमेंट के जिस प्रोविजन को लेकर आपको लग रहा है कि यह आपके इंटरेस्ट के खिलाफ है या गड़बड़ है तो वह आप बताइए. हमारे जेपीसी मेंबर हैं वह भी और एज ए पार्टी हम लोग सरकार में भी बात को रखेंगे. इसके बाद हमलोगों को जो लगा, वो हमने जेपीसी में बात रखी. उसे माना गया. सबसे बड़ी बात है कि इतने हजारों-लाखों करोड़ का डिफेंस और रेलवे की सरकारी संपत्ति वक्फ के पास है. मैं तो अपने स्टेट में देखता हूं कि इतने बड़े प्रॉपर्टी पर कोई उन्होंने अस्पताल बनाया हो, कोई चैरिटी का काम किया हो, गरीब मुस्लिम समुदाय के लिए कोई स्कूल खोला हो, उनका कोई फायदा हुआ हो. आपको पता है कि देश में अकेला स्टेट बिहार है, जहां जातीय गणना हुई है. उस जातीय गणना में मुस्लिम जनसंख्या का 73% पसमांदा मुस्लिम हैं. जब मैं पसमांदा कहता हूं तो उसमें अंसारी, मंसूरी और जितने गरीब मुसलमान हैं, वो सब आते हैं. अगर उनको रिप्रेजेंटेशन आज भारत सरकार ने वक्फ में दिया है कि पसमांदा समाज के रिप्रेजेंटेटिव होंगे, उस समुदाय की महिलाएं होंगी तो इसमें क्या गलत है?
भाई, अगर ये पैसा अगर उनके इंटरेस्ट में लगता है तो इसमें क्या गलत है या अगर ये पैसा ट्रांसपेरेंट तरीके से खर्चा होता है तो इसमें क्या गलत है? अब भी अगर आप लोगों को लगता है कि कोई और बात है तो आप बताइए. इतना मैं जरूर पार्टी की तरफ से एश्योर करता हूं एंटायर मुसलमानों को कि कुछ चंद लोगों को छोड़ करके वक्फ प्रॉपर्टी का किस मुस्लिम समाज को फायदा मिला? यह साफ-सुथरे ढंग से, पारदर्शी ढंग से होना चाहिए कि नहीं. जमीन का रिकॉर्ड आज बिहार में पूरा लैंड डिजिटाइज हो रहा है. कंप्यूटराइज हो रहा है. सारा काम तो डीएम ही देखता है ना. वह तो प्रशासन में जिसके पास रिकॉर्ड है, दूसरा कैसे चेक करेगा इस चीज़ को कि जमीन किसकी है तो अगर उसमें गड़बड़ी हो रही है और जो लोग चला रहे हैं, वो ढंग से नहीं चला रहे हैं ये बात आ रही हैं और उसमें सुधार करने की कोशिश हो रही तो गलत क्या है? वक्फ को मिले दान का पर्पस क्या है? दीनहीन लोगों को मदद करना. गरीब तो पसमांदा ही है ना भाई सबसे ज्यादा तो उनके लिए अगर इस पैसे का, इस प्रॉपर्टी से उनके लिए काम होगा, महिलाओं के लिए काम होगा तो इसमें गलत क्या है? कोई अनाथालय खुलेगा, कोई अस्पताल खुलेगा, कोई और चैरिटी का काम होगा. पटना में एक महावीर मंदिर है. उसका जो पैसा आता है उससे पटना में महावीर कैंसर इंस्टट्यूट से लेकर के एक से एक काम गरीबों के लिए होे हैं. आपके पास पैसा है तो आप गरीब मुसलमानों के लिए काम कर सकते हैं. कितना पैसा है वक्फ के पास आपके सामने है. कितना रिसोर्स है इनके पास. सच्चर कमेटी की 2006 की रिपोर्ट है कि वक्फ बोर्ड को अपनी प्रापर्टी से 12,000 करोड़ आमदनी आ रहा था. आज उसका वैल्यू कितना होगा, वो देख लीजिए.
वक्फ बिल का समर्थन करने से पार्टी छोड़ रहे जदयू नेता?
देखिए भाई, ये तो व्यक्तिगत आना-जाना है. यह पॉलिटिकल है. उसमें कोई बुरी बात नहीं है. जो आप पार्टी छोड़ने की बात कर रहे हैं तो मेरे लिए यह बड़ा न्यूज़ है कि नेशनल मीडिया या स्टेट का मीडिया, जो खबर ब्लॉक लेवल का भी नहीं है, उसे उठा रहा है. हम ही लोगों को नहीं पता कि कौन बड़ा नेता छोड़ गया. कोई अगर एमएलए, एमएलसी, कोई पूर्व सांसद या कोई पार्टी का कोई प्रदेश अध्यक्ष पार्टी छोड़ा हो तो कोई बात है. तो एक खबर है. लेकिन कौन से ब्लॉक में कौन कहां चला गया, वो पार्टी में है भी कि नहीं, वो भी तो वेरीफाई नहीं करते हैं आपलोग. कोई छोड़ के नहीं गया है पार्टी को. बिहार की सोसाइटी, बिहार की पॉलिटिक्स बिल्कुल अलग मिजाज की है. मैंने कहा ना कि 19 साल में बिहार में एक दिन भी कर्फ्यू नहीं लगा. बिहार में कोई ध्रुवीकरण की बात नहीं है. बिहार में नीतीश कुमार और एनडीए सरकार ने लार्जली डेवलपमेंट को ही एजेंडा बनाया है और जो भी चुनाव हम लोग लड़ने गए हैं, हम लोग भावना भड़का कर चुनाव लड़ने नहीं गए.
नीतीश कुमार कितने स्वस्थ?
नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर जो भी सवाल उठा रहे हैं, उनके पास कोई मुद्दा नहीं है. बिहार में लगातार काम हो रहा है. डेवलपमेंट पर राजद और विपक्ष बात तक नहीं कर सकते. उनका पुराना ट्रैक रिकॉर्ड ऐसा है कि वो बोलें भी तो किसी को भरोसा नहीं होगा तो अब नीतीश कुमार को लेकर बातें बना रहे हैं. नीतीश कुमार का अभी दिसंबर में ही बिहार में प्रगति यात्रा पूरा हुआ है. वो हर जिले में गए. मुझे लगता है कि एक महीना से ज्यादा की यात्रा थाी. बिहार के सभी 38 जिलों में गए. हर एक जिले में पहुंचकर रिव्यू किए और वहां पर जो भी काम छूटा हुआ है, उसे पूरा करने का निर्देश दिया. डेली वह पटना से बाहर निकल रहे हैं. आज एआई का दौर है, मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया है. तो अब कहीं से कहीं कोई क्लिप निकाल कर कहीं कट कर दीजिए. तो भाई, उसका कुछ नहीं कर सकते.
क्या निशांत संभालेंगे पार्टी?
देखिए, प्रधानमंत्री का एक बड़ा यह वक्तव्य था. उन्होंने सच्चे समाजवादियों में राम मनोहर लोहिया, जॉर्ज साहब और नीतीश कुमार को पैरेलल रखा था. ये तीनों सच्चे समाजवादी हैं. खास करके उनकी ईमानदारी और स्वच्छ राजनीति. डेवलपमेंटल राजनीति का काम नीतीश कुमार ने शुरू किया. वह बिहार में 19 साल से हैं. 5 साल केंद्र में रहे. हमको नहीं लगता है कि उनके परिवार से किसी का नाम भी कोई अब पहले सुना होगा. अब कभी-कभी सुनते होंगे. वो 25-30 साल एक पोजीशन में रहे. कभी आपने सुना या कभी किसी को इनवॉल्व होते देखा? यह पार्टी नीतीश कुमार की बनाई हुई है और आज भी हमारे वो नेता हैं. इसलिए आज कोई चर्चा इस तरह की है ही नहीं. आज के डेट में नीतीश कुमार ही हमारे नेता हैं.
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