कितने और भारतीय डिपोर्टेशन लिस्ट में हैं? अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता से Exclusive बातचीत
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आते ही अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालना शुरू कर दिया. सैंकड़ों की संख्या में भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है. हालांकि अमेरिका ने सैन्य विमान से जिस तरह हथकड़ी डालकर अवैध भारतीय प्रवासियो को भेजा है, उससे देश में रोष है. इसे लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मार्गरेट मैकलियोड ने एनडीटीवी इंडिया के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि इस तरह के उपाय सुरक्षा मंत्रालय के अधिकारियों पर निर्भर हैं. उन्होंने कहा कि उनकी प्रक्रिया के मुताबिक, बच्चों और अक्सर महिलाओं पर भी सख्ती नहीं की जाती है. हालांकि अगर अधिकारी समझते है कि कोई यात्री उड़ान के दौरान दूसरे यात्रियों के लिए जोखिम बन सकता है तो उस पर फैसला कर सकते हैं. इस दौरान रेसिप्रोकल टैरिफ पर भी उन्होंने खुलकर बात की.
मार्गरेट मैकलियोड ने अवैध प्रवासियों को हथकड़ी लगाने के सवाल पर कहा कि इन यात्रियों में कई लोग ऐसे भी थे, जिन्हें भारत सरकार ने कभी खुद गिरफ्तार किया था. उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ अमेरिका की सुरक्षा की बात है बल्कि विमान में सवार दूसरे लोगों की सुरक्षा की भी बात थी.
धार्मिक सुविधा देने की मांग नहीं की थी: मैकलियोड
मानवीय आधार पर अवैध प्रवासियों के अधिकारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि अधिकारियों को ऐसा लगा कि इससे दूसरों को खतरा हो सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि इसके बारे में सारी तफसील अमेरिका की सरकार भारत सरकार को दे रही है.
पगड़ी खुलवाने और शाकाहारी खाने का इंतजाम नहीं करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने पुष्टि की है कि विमान में सवार लोगों ने शाकाहारी खाने के अलावा किसी भी धार्मिक सुविधा देने की मांग नहीं की थी.
हम भारत सरकार के साथ सहयोग कर रहे: मैकलियोड
मैकलियोड से पूछा गया कि डिपोर्टेशन लिस्ट में कितने और भारतीय हैं? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह संख्या हर दिन बदलती रहती है, क्योंकि हम अवैध तरीके से अमेरिका आने वाले और भी लोग मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए आप हमारी कस्टम्स एंड बॉर्डर पेट्रोल की साइट पर आप ढूंढ सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम भारत सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं, जिससे उनकी शिनाख्त कर उन्हें उनके देश भेज सकें. यदि अधिकारी यह समझते हैं कि वो दूसरे यात्रियों के लिए जोखिम हैं तो वे जरूरी प्रक्रिया अपनाते हैं.
मैकलियोड ने कहा कि बुनियादी तौर पर किसी सरकार की जिम्मेदारी यह है कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत करे. अमेरिका अपनी सीमा को मजबूत रखना चाहता है, जिससे जिससे न सिर्फ अमेरिकी बल्कि हमारे मेहमान भी सुरक्षित रहें. यदि आपके संपर्क में कोई न कोई है जो किसी को जानते हैं जो कि अमेरिका में अवैध रूप से गए हैं, उनको यही संदेश पहुंचाइए कि अभी समय है भारत वापस जाएं.
सेल्फ डिपोर्टेशन का भी सुझाया विकल्प
उन्होंने सेल्फ डिपोर्टेशन का विकल्प सुझाते हुए कहा कि लोग अपने आप अमेरिका से बाहर जा सकते हैं. सीबीपी होम ऐप है, लोग अमेरिका के बाहर जाकर के अपने मोबाइल ऐप के जरिए यह संदेश भेज सकते हैं कि मैं अमेरिका के बाहर हूं.
साथ ही उन्होंने कहा कि हम अलग-अलग विकल्प के बारे में बात करने के लिए तैयार हैं. उज्बेकिस्तान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उज्बेकिस्तान ने एक चार्टर फ्लाइट का इंतजाम किया था तो हम उन्हीं लोगों पर प्रतिबंध लगाते हैं जो दूसरों के लिए जोखिम बनते हैं. हालांकि भारत सरकार की ओर से विमान भेजे जाने या वापसी का बंदोबस्त करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम अलग-अलग ऑप्शंस के बारे में बात करने के लिए तैयार हैं.
ट्रंप टैरिफ पर भी बोलीं मैकलियोड
रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर मैकलियोड ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ऐसे व्यापार को सपोर्ट करते हैं जो कि न्याय और संतुलन पर आधारित हो. उन्होंने देखा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संतुलन नहीं है. इस मुद्दे पर भारत-अमेरिका के बीच बातचीत को लेकर कहा कि हमें उम्मीद है कि इस बातचीत से हमारे व्यापार के समझौते में नया आधार मिलेगा, जिसमें संतुलन हो जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि रेसिप्रोकल टैरिफ न सिर्फ भारत पर लागू हुआ बल्कि बहुत सारे देशों पर लगाया गया है क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने फैसला किया कि यह जो असंतुलित व्यापार हो रहा है, उससे अमेरिका और हमारी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता पर बुरा असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि हमें आशा है कि एक व्यापारिक समझौता जल्द से जल्द हो जाएगा.
अमेरिका में विरोध प्रदर्शनों पर दिया जवाब
मैकलियोड ने अमेरिका में हो रहे जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में आजादी है और हम लोगों की राय को बहुत ही महत्वपूर्ण समझते हैं और ऐसे विरोध प्रदर्शन फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन हैं. मैं जानती हूं कि नीति निर्माता उनकी राय पर विचार कर रहे हैं. हालांकि रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर कहा कि हमारा नीतियों में बदलाव का कोई विचार नहीं है.
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