भारत ट्रंप को नहीं देगा चीन वाला जवाब, समझिए टैरिफ पर 'चाणक्य' वाला प्लान
चीन के उलट भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का जवाब टैरिफ से नहीं देगा. भारत सरकार के एक अधिकारी ने अमेरिका और भारत के बीच एक समझौते के लिए चल रही बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि भारत ट्रंप की ओर से आयात पर लगाए गए 26 प्रतिशत के टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की योजना नहीं बना रहा है. यह रिपोर्ट रॉयटर्स ने छापी है.
ट्रंप ने अपने टैरिफ आदेश में एक जगह लिखा है कि उन व्यापारिक साझेदारों को राहत दी जा सकती है जो असंतुलित व्यापार घाटा को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाएंगे और इसे ही पीएम मोदी की सरकार भुनाना चाहती है. रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी ने यह बताया है.
एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि नई दिल्ली वाशिंगटन के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू करने वाले पहले देशों में से एक होने में एक फायदा देखती है. भारत चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे एशियाई साथियों की तुलना में बेहतर स्थिति में है, जो उच्च अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित हुए हैं. ट्रंप की टैरिफ घोषणा ने वैश्विक बाजारों को हिलाकर रख दिया है. लेकिन भारत ने काउंटर टैरिफ लगाने से इनकार कर दिया है और उसने ताइवान और इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ यह स्टैंड लिया है. वहीं दूसरी तरफ चीन की तरह यूरोपीय कमीशन भी बदले की कार्रवाई में अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की तैयारी कर रहा है.
बता दें कि भारत और अमेरिका फरवरी में टैरिफ पर अपने गतिरोध को हल करने के लिए सहमत हुए थे और उम्मीद जताई गई है कि 2025 के आखिर तक एक प्रारंभिक व्यापार समझौता कर लिया जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार भारतीय प्रधान मंत्री कार्यालय ने टिप्पणी के लिए ईमेल से भेजे गए अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया.
रॉयटर्स ने पिछले महीने रिपोर्ट दी थी कि नई दिल्ली 23 अरब डॉलर के अमेरिकी आयात पर टैरिफ में कटौती के लिए तैयार है. पीएम मोदी के प्रशासन ने ट्रंप को अपने पाले में करने और टैरिफ से बचने के लिए हाल में कई कदम उठाए हैं, जिसमें हाई-एंड बाइक और बॉर्बन पर टैरिफ कम करना और डिजिटल सेवाओं पर टैक्स हटाना शामिल है.
रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप के टैरिफ चालू वित्तीय वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि को 20-40 बेसिस प्वाइंट (यानी 2-4 प्रतिशत) तक धीमा कर सकते हैं. यह भारत के हीरा उद्योग को बड़ा झटका दे सकता है, जो अपने निर्यात का एक तिहाई से अधिक अमेरिका को भेजता है, जिससे हजारों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं.
(इनपुट- रॉयटर्स)
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