अंतरिक्ष में लगे ‘सोलर पैनल’ से कैसे चलेगा आपका पंखा? नई Tech के लिए इस स्टार्टअप ने जमा किए $50 मिलियन
अगर आपसे कहा जाए कि आपके घर का पंखा चलाने के लिए छत पर लगे सोलर पैनल नहीं, अंतरिक्ष में घूमते सैटेलाइट्स का इस्तेमाल किया जाएगा, तो आप यकीन करेंगे? शायद सोलर इनर्जी की इतनी एडवांस टेक्नोलॉजी पर पहली नजर में आप विश्वास न करें लेकिन यकीन मानिए की तैयारी पूरी है. अमेरिका के एक स्टार्टअप ने अंतरिक्ष से ही धरती तक सोलर इनर्जी पहुंचाने के लिए $50 मिलियन जुटाए हैं. भारतीय मूल के एक अमेरिकन बैजू भट्ट का Aetherflux (एथरफ्लक्स) नाम का यह स्टार्टअप अगले साल की तैयारी कर रहा है जब इसने इस टेक्नोलॉजी का पहला प्रदर्शन करने का लक्ष्य रखा है.
Aetherflux ने 2 अप्रैल को घोषणा की कि उसने इंडेक्स वेंचर्स और इंटरलागोस के नेतृत्व में सीरीज ए राउंड में 50 मिलियन डॉलर जुटाए हैं. स्टार्टअप ने पिछले अक्टूबर में अपना प्लान सबके सामने रखा था. उसने बताया था कि वह अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स का एक समूह विकसित करेगा जो सोलर इनर्जी को जमा करेगा और लेजर का उपयोग करके इसे पृथ्वी तक भेजेगा.
Aetherflux का प्लान अलग क्यों है?
स्पेस आधारित सोलर इनर्जी का कॉन्सेप्ट नया नहीं है. 1941 में, लेखक इसहाक असिमोव ने दुनिया को अंतरिक्ष सौर ऊर्जा से परिचित कराया. भले इसको तैयार करने का काम बहुत कठिन है लेकिन इसके पीछे का साइंस सिंपल है. इसमें अंतरिक्ष में सैटेलाइट लगाकर सूरज से आने वाली उर्जा को जमा किया जाएगा और लेजर बीम के जरिए उसे धरती पर भेजा जाएगा. यहां जमीन पर लगा एंटिना उसे बिजली में बदल देगा. अगर इस टेक्नोलॉजी को सच में तैयार कर लिया गया तो समझिए कि भविष्य में कभी बिजली की कमी नहीं होगी, वो भी बिना पर्यावरण को कोई खतरा पैदा किए.
स्पेस बेस्ड सोलर इनर्जी का माइक्रोवेव मॉडल
Photo Credit: यूएस डिपार्टमेंट ऑफ इनर्जी
क्या आपको पता है कि हर घंटे धरती पर इतना सोलर इनर्जी पहुंचती है जितना इंसान पूरे साल में खर्च नहीं कर पाता. लेकिन धरती इन पूरी इनर्जी को एब्जॉर्ब नहीं कर पाती. इस ऊर्जा का लगभग 30% वायुमंडल से ही परावर्तित (रिफ्लेक्ट) होकर वापस अंतरिक्ष में चला जाता है. इसी को देखते हुए वैज्ञानिकों ने सोचा कि क्यों न इन सोलर इनर्जी को अंतरिक्ष में ही जमा कर लिया जाए. चूंकि अंतरिक्ष में न बादल होते हैं और न वायुमंडल, वहां तो रात भी नहीं होता. इसलिए अगर सैटेलाइट की मदद से अंतरिक्ष में ही सोलर इनर्जी जमा कर लिया जाए और धरती पर भेज दिया जाए तो वह हमारे छत पर लगे सोलर पैनल की तुलना में बहुत अधिक सक्षम होगा.
सौर पैनल लगे छोटे सैटेलाइट का एक नेटवर्क बनाया जाने का प्लान है. भारी मात्रा में सौर किरणों को प्रतिबिंबित करने के लिए विशाल दर्पणों का उपयोग करके सोलर इनर्जी जमा किया जाएगा. फिर इस विकिरण को वायरलेस तरीके से माइक्रोवेव या लेजर बीम के रूप में सुरक्षित और नियंत्रित तरीके से पृथ्वी पर भेजा जाता है. इसमें सैटेलाइट को लगभग 35 हजार किमी के आसपास लगाया जाता है.
स्पेस बेस्ड सोलर इनर्जी का लेजर मॉडल
Photo Credit: यूएस डिपार्टमेंट ऑफ इनर्जी
लेजर वाले मॉडल का फायदा यह है कि इसमें $500 मिलियन से $1 बिलियन की रेंज में अपेक्षाकृत कम स्टार्टअप लागत की जरूरत होती है. लेकिन इसमें कई सैटेलाइट का नेटवर्क बनाना होगा. साथ ही अंतरिक्ष में लेजरों के साथ कई सुरक्षा चिंताएं हैं, जैसे यह अंधा कर सकता है और इसका इस्तेमाल हथियार बनाने में हो सकता है. साथ ही भारी बादलों और बारिश के बीच लेजर मॉडल से बिजली प्रसारित करने में परेशानी होगी. वहीं दूसरी तरफ माइक्रोवेव मॉडल में फायदा यह है कि बारिश, बादल और अन्य वायुमंडलीय स्थितियों में भी ऐसे बिजली भेजी जा सकती है. इसके जरिए बिजली भेजना सुरक्षित भी है, अंधा करने जैसी पावर नहीं होती इसमें. हालांकि इसमें लागत बहुत आएगी. उत्पादन लागत दसियों अरबों डॉलर तक होती है, जिसके लिए अंतरिक्ष में 100 से अधिक लॉन्च की आवश्यकता होती है, साथ ही अंतरिक्ष आधारित असेंबली की भी आवश्यकता होती है.
Aetherflux लेजर मॉडल का ही उपयोग करने वाला है. Aetherflux ने 9 अक्टूबर 2024 को अपना प्लान बताया था. इसके अनुसार पृथ्वी की निचली कक्षा में सैटेलाइट का एक समूह डेवलप किया जाएगा, जो सौर ऊर्जा जमा करेगा और इन्फ्रारेड लेजर का उपयोग करके इसे पृथ्वी तक भेजेगा. कंपनी 2026 की शुरुआत में एक छोटे सैटेलाइट को भेजकर इस टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन करने वाली है. इस कंपनी के फाउंडर और सीईओ बैजू भट्ट हैं जो भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं. इनके माता-पिता गुजरात से थे और अमेरिका शिफ्ट हो गए थे. इनके पिता नासा में वैज्ञानिक थे.
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