Stock Market Crash: ट्रंप टैरिफ से भारतीय शेयर बाजार धाराशायी, निवेशकों के 19 लाख करोड़ रुपये डूबे
भारतीय शेयर बाजार आज यानी 7 अप्रैल को खुलते ही धड़ाम हो गया. प्री-ओपन ट्रेड में सेंसेक्स 3,900 से ज्यादा अंकों की भारी गिरावट के साथ 71,449 के आसपास पहुंच गया, जबकि निफ्टी 1,100 से अधिक अंक टूटकर 21,758 के नीचे फिसल गया. इस तरह सेंसेक्स और निफ्टी दोनों 5 फीसदी से अधिक लुढ़का है. यह 4 जून 2024 के बाद सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है. इससे पहले 4 जून 2024 को दोनों इंडेक्स में 8% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई थी, जो उस समय लोकसभा चुनाव नतीजों को लेकर बाजार में आई घबराहट की वजह से हुई थी.
सुबह 9:35 पर सेंसेक्स 2,381 अंक या 3.12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73,010 और निफ्टी 816 अंक या 3.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,088 पर था
BSE और NSE लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में जोरदार गिरावट
शुरुआती कारोबार में 9 बजकर 15 मिनट पर सेंसेक्स 2,639.95 अंक या 3.50 प्रतिशत की गिरावट के साथ 72,724.74 पर और निफ्टी 869.10 अंक या 3.79 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,035.35 पर ट्रेड कर रहा था. इस बिकवाली से BSE लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में 16.19 लाख करोड़ रुपये की भारी गिरावट आई. वहीं, NSE लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में 20 लाख करोड़ रुपये की गिरावट देखने को मिली.
आईटी और मेटल इंडेक्स 7% से अधिक टूटा
सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों के शेयर नुकसान में रहे. टाटा स्टील का शेयर आठ प्रतिशत से अधिक जबकि टाटा मोटर्स का शेयर सात प्रतिशत से अधिक की गिरावट में रहा. एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, लार्सन एंड टूब्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरे भी भारी नुकसान में रहे.
सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं, जिनमें आईटी और मेटल में 7-7 प्रतिशत की गिरावट है. बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 6-6 प्रतिशत की गिरावट है.
शेयर बाजार में गिरावट की क्या है वजह?
भारतीय शेयर बाजार में आज की भारी गिरावट के पीछे कई ग्लोबल और घरेलू कारण हैं. सबसे बड़ा कारण है अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी, जिससे ग्लोबल मार्केट बुरी तरह हिल गया है. इसने दुनियाभर के निवेशकों में बेचैनी बढ़ा दी है. इससे पहले जापान, हॉन्गकॉन्ग और ऑस्ट्रेलिया जैसे बाजारों में भी तेज गिरावट देखी गई, जिससे साफ है कि ट्रेड वॉर की चिंता अब पूरी दुनिया को हिला रही है.
ट्रंप ने टैरिफ को 'दवा' बताया और साफ कहा कि उन्हें बाजार में गिरावट की परवाह नहीं है. उन्होंने कहा कि कभी-कभी किसी चीज को ठीक करने के लिए दवा लेना जरूरी है. उनके इस फैसले का असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर दिखा और भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा. दुनिया में 60% तक मंदी की संभावना
दूसरी तरफ, ग्लोबल स्लोडाउन का डर भी बढ़ गया है. जेपी मॉर्गन ने अमेरिका और दुनिया में मंदी की संभावना को 60% तक बताया है. इसके अलावा, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की आज से शुरू हो रही बैठक पर भी निवेशकों की नजर है, जिससे बाजार में और भी अनिश्चितता बनी हुई है. इन सभी फैक्टर्स ने मिलकर बाजार में भारी बिकवाली का माहौल बना दिया है.
बीते सप्ताह भी सेंसेक्स-निफ्टी का बुरा हाल
शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबार सत्र में लाल निशान में बंद हुआ था. बाजार में चौतरफा बिकवाली से सेंसेक्स 930 अंक या 1.22 प्रतिशत की गिरावट के साथ 75,364 और निफ्टी 345 अंक या 1.49 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 22,904 पर था.
पिछले सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 2,050.23 अंक या 2.64 प्रतिशत नीचे आया. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 614.8 अंक या 2.61 प्रतिशत के नुकसान में रहा.बीते सप्ताह के दौरान सेंसेक्स की शीर्ष 10 में से नौ कंपनियों के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में सामूहिक रूप से 2,94,170.16 करोड़ रुपये की गिरावट आई.
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे. उन्होंने शुक्रवार को शुद्ध रूप से 3,483.98 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.
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