प्रेमानंद महाराज से जानिए नजर लगना या नजर उतारना क्या अंधविश्वास है?
Premanand ji Maharaj Viral video : वंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज के प्रवजन के वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं. जिसमें प्रेमानंद जी अपने भक्तों के प्रश्नों का उत्तर इतने सरल, सधे और तार्किक तरीक से देते हैं, जिससे सुनने के बाद मन के सारे भ्रम दूर हो जाते हैं. ऐसे ही प्रेमानंद महाराज जी के सत्संग से एक वीडियो सामने आई है, जिसमें एक भक्त ने नजर लगने और नजर उतारने को लेकर प्रश्न किया, जिसका जवाब सुनने के बाद आपको यह स्पष्ट हो जाएगा की यह एक मात्र अंधविश्वास है या इसमें कोई सच्चाई है...
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क्या नजर उतारना अंधविश्वास है - Is casting an evil eye a superstition
भक्त का सवाल था कि याशोदा मइया भी श्रीकृष्ण की नजर उतारती थीं, नजर क्यों लगती है, नजर उतारना सही है?
इसके जवाब में प्रेमानंद जी महाराज (Premanand ji maharaj on evil eye) ने कहा कि जो व्यक्ति हमें प्रिय होता है उसका किसी तरह से अमंगल न हो इस बात का डर दिमाग में बना रहता है. ऐसे में हम प्रीति और प्रेम दुलार में उसकी नजर उतारते हैं. साथ ही प्रेमानंद महाराज ने उदाहरण देते हुए समझाए कि हम अपने प्रिया प्रीतम की भी नजर उतारते हैं बलिहारी जाते हैं, क्यों? क्योंकि हम उनसे प्रेम करते हैं, जबकि वह स्वंय ईश्वर हैं जिनकी नजर से सबकी नजर है, जिससे पूरा संसार चलता है, जिनसे सूर्य और चंद्र प्रकाशित होते हैं, उनको भला किसी की क्या नजर (najar kya hoti hai) लगेगी. लेकिन यह एक प्रेम और दुलार व्यक्त करने का तरीका होता है. इससे हमें संतुष्टी मिलती है.
प्रेमानंद जी महाराज ने आगे कहा कि दुनिया की किसी भी नजर में इतनी ताकत नहीं है कि किसी का अमंगल कर दे. आप जैसी भावना रखते हैं, वैसे ही होता है. नजर नहीं लगती है. यह मात्र एक भ्रम है. नजर उतारना सांसारिक लोक में प्रेम व्यक्त करने का एक तरीका है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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