पंबन ब्रिज के सहारे दक्षिण की राह: क्या तमिलनाडु में बदलेगी बीजेपी की किस्मत?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को तमिलनाडु के दौरे पर हैं. इस दौरे का सबसे बड़ा आकर्षण है पंबन ब्रिज का उद्घाटन. रामनवमी के अवसर पर पीएम मोदी इसे राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं. यह ब्रिज न केवल इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की दक्षिण भारत में अपनी पकड़ को मजबूत करने की एक रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है. 2.08 किलोमीटर लंबा यह नया पंबन ब्रिज रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ता है.
पंबन ब्रिज: तमिलनाडु के लोगों को पीएम मोदी का तोहफा
पंबन ब्रिज का निर्माण अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. यह भारत का पहला वर्टिकल-लिफ्ट समुद्री पुल है, जो जहाजों के आवागमन के लिए खुल सकता है. नया ब्रिज न केवल मजबूत और आधुनिक है, बल्कि यह तमिलनाडु के लोगों के लिए आवागमन को आसान बनाएगा और पर्यटन को बढ़ावा देगा. गौरतलब है कि रामेश्वरम, जो हिंदू धर्म में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, अब और भी सुलभ हो जाएगा.
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रामनवमी के दिन इस ब्रिज का उद्घाटन करना कोई संयोग नहीं है. रामनवमी, भगवान राम के जन्म का उत्सव, दक्षिण भारत में भी धूमधाम से मनाया जाता है. रामेश्वरम का धार्मिक महत्व भी भगवान राम से जुड़ा है, क्योंकि माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां राम ने लंका पर चढ़ाई के लिए सेतु बनाया था. बीजेपी इस मौके को भुनाने की कोशिश कर रही है, ताकि वह हिंदुत्व के अपने एजेंडे को तमिलनाडु की जनता के बीच मजबूती से रख सके
बीजेपी की नजर अगले विधानसभा चुनाव पर
234 सदस्यों वाली तमिलनाडु विधानसभा के लिए अगले साल 2026 में चुनाव होने हैं. तमिलनाडु की राजनीति में डीएमके और एआईएडीएमके लंबे समय से हावी रही हैं. बीजेपी, जो उत्तर भारत में अपनी मजबूत पकड़ रखती है, दक्षिण में अभी तक कोई खास प्रभाव नहीं बना पाई है. लेकिन पिछले कुछ सालों में पार्टी ने तमिलनाडु में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश तेज कर दी है. पंबन ब्रिज का उद्घाटन इस रणनीति का एक हिस्सा है.
बीजेपी के सामने तमिलनाडु में क्या है चुनौती?
बीजेपी के लिए तमिलनाडु में पैर जमाना आसान नहीं है. राज्य की राजनीति क्षेत्रीयता और द्रविड़ पहचान पर आधारित रही है, जो बीजेपी के हिंदुत्व और केंद्रीकृत राजनीति के विचार से टकराती है. फिर भी, पार्टी इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार है. पंबन ब्रिज जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स के जरिए बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि वह तमिलनाडु के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही, रामनवमी जैसे धार्मिक अवसर का इस्तेमाल करके वह हिंदू मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है.
गठबंधन की नई रणनीति?
तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के. अन्नामलाई पिछले कुछ समय से सुर्खियों में रहे हैं. उनकी आक्रामक शैली और द्रविड़ पार्टियों पर हमले ने उन्हें राज्य में एक चर्चित चेहरा बनाया था. लेकिन हाल के दिनों में खबरें आ रही हैं कि बीजेपी ने उन्हें साइडलाइन कर दिया है. इसे राजनीतिक हलकों में एआईएडीएमके के साथ गठबंधन की संभावना से जोड़कर देखा जा रहा है.
एआईएडीएमके, जो तमिलनाडु की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन में थी. हालांकि, वह गठबंधन असफल रहा और एआईएडीएमके ने बाद में बीजेपी से दूरी बना ली. अब, 2026 के चुनाव से पहले बीजेपी एक बार फिर एआईएडीएमके के साथ हाथ मिलाने की कोशिश कर रही है. अन्नामलाई की आक्रामक छवि इस गठबंधन में बाधा बन सकती थी, क्योंकि एआईएडीएमके उनके बयानों से असहज थी. इसलिए, बीजेपी ने अन्नामलाई को पीछे करके एक नरम रुख अपनाने की रणनीति बनाई है.
बड़े गठजोड़ बनाने की है तैयारी
बीजेपी की योजना सिर्फ एआईएडीएमके तक सीमित नहीं है. पार्टी तमिलनाडु में एक बड़ा गठजोड़ बनाना चाहती है, जिसमें छोटी क्षेत्रीय पार्टियां और प्रभावशाली नेता शामिल हों. इसके लिए वह विकास और हिंदुत्व के मिश्रण का सहारा ले रही है. पंबन ब्रिज का उद्घाटन इस रणनीति का एक हिस्सा है. यह ब्रिज न केवल रामेश्वरम के लोगों के लिए सुविधा लाएगा, बल्कि बीजेपी को यह दिखाने का मौका देगा कि वह तमिलनाडु की जरूरतों को समझती है.
साथ ही, बीजेपी तमिलनाडु में डीएमके की बढ़ती ताकत को कम करना चाहती है. डीएमके, जो वर्तमान में सत्ता में है, ने अपनी मजबूत संगठनात्मक शक्ति और सामाजिक न्याय के एजेंडे के दम पर राज्य में पकड़ बनाई है. बीजेपी के लिए डीएमके को चुनौती देना आसान नहीं होगा, लेकिन वह गठबंधन और बड़े प्रोजेक्ट्स के जरिए जनता का ध्यान खींचने की कोशिश कर रही है.
धार्मिक और राजनीतिक दोनों संदेश देना चाहती है बीजेपी
रामनवमी के दिन पंबन ब्रिज का उद्घाटन बीजेपी की बड़ी रणनीति को दर्शाता है. एक तरफ, यह धार्मिक भावनाओं को उभारने का प्रयास है. रामेश्वरम का राम से ऐतिहासिक और पौराणिक जुड़ाव बीजेपी के हिंदुत्व के नैरेटिव को मजबूत करता है. दूसरी तरफ, यह विकास का संदेश देता है, जो तमिलनाडु की जनता को यह भरोसा दिलाने की कोशिश है कि बीजेपी उनके हितों की चिंता करती है.
हालांकि, यह रणनीति कितनी सफल होगी, यह कहना मुश्किल है. तमिलनाडु की जनता ने हमेशा क्षेत्रीय पार्टियों को तरजीह दी है. बीजेपी के लिए इस दीवार को तोड़ना एक बड़ी चुनौती है. फिर भी, पंबन ब्रिज जैसे प्रोजेक्ट्स और गठबंधन की कोशिशें दिखाती हैं कि पार्टी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.
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